हमारी सडकों पर गाय बैल मस्त होकर विचरण करते देखे जा सकते हैं। कभी इनका मूड हो जाए तो ये रेलवे प्लेटफार्म भी घूम आते हैं। इससे हमें फर्क तो बहुत पडता है पर कर भी क्या सकते हैं?
इनकी खबर अखबारों में तब तक नहीं छपती जब तक ये किसी को ठोक नहीं देते।
हमें नहीं भूलना चाहिए कि विदेश में रह रहे करोडों भारतीय हमारे अखबारों के आन लाईन संस्करण पढते हैं जो हमारी छवि को बहुत नुक्सान पंहुचाता है।
इसे ठीक करना होगा।
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