Friday, November 13, 2009

बापू का परिहास

यह बाल–स्वभाव ही है जो किसी बालक के पास कोई विशेष खिलौना नही होने पर वह उस खिलौने से ही नफरत करने का झूठा दिखावा करने लगता है / गणतंत्र दिवस से पहले, एक टीवी चैनल द्वारा बापू का परिहास करने से मुझे कोई आश्चर्य नही हुआ बल्कि परेशानी तो तब हुई जब बापू की टूटी मूर्ति और मूर्ति के आसपास कचरे के ढ़ेर वाले चित्र अखबार में देखा / अखबारों में छपे चित्र एक सच्चे देशभक्त की आत्मा को शूल की भांति चुभते हैं और इसका दर्द हर कोई नही समझ सकता/

जिन अंग्रेजों ने हमारे देश पर 200 साल तक राज किया उनके पास अगर कोई कमी थी तो सिर्फ बापू की / जिस तरह महाभारत के युद्ध में कृष्ण पांडवों के साथ थे ठीक उसी तरह आजादी की लडाई में बापू हमारे साथ थे और यदि अंग्रेजों के पास बापू होते तो ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य कभी अस्त नही होता / बस उनकी यही कमी उन्हें आज भी टीसती है जिसे वे कभी–कभार टीवी और अन्य माध्यमों के द्वारा व्यक्त करते रहते हैं/ ऐसा कौनसा विदेशी होगा जो नही चाहता होगा कि काश बापू उनके देश में पैदा होते/ हमारे देश में पैदा होकर बापू ने विदेशियों को गर्व करने से वंचित कर दिया/ अब हमारे द्वारा बापू की निरंतर उपेक्षा और अपमान होते देख विदेशी शायद बापू से गुस्से में पूछना चाहते होंगे कि भारत में पैदा होने से क्या मिला, यदि पैदा ही होना था तो विदेश क्या बुरा था ?

आईये हम विदेशियों की इस सोच को गलत साबित करें और वादा करें कि बापू का कभी अपमान नही होने देंगे /

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