Tuesday, February 2, 2010

शोर

काफी दिन बाद मेरे मित्र ने मुझे फोन किया और मेरा हालचाल पूछा । कुछ देर इधर उधर की बाते करके उस ने अचानक ही पूछा कि क्या मेरे घर पर कोई कार्यक्रम चल रहा है जो मैं तेज आवाज में संगीत बजा रहा हूँ । मैंने कहा नही यार, यह तो मेरे पडौस में शादी है, वही लोग प्राण पी रहे हैं । वास्तव में वह जानना चाहता था कि गुरदास मान और दलेर मेंहंदी दोनों भला एक साथ कैसे गा रहे हैं । मुझे समझाना पडा कि दरअसल मेरे घर के दांयी ओर शर्माजी और बांयी ओर वर्माजी के बच्चों की शादी है। शर्माजी के यहां रिसेप्शन है और वर्माजी के लडके की निकासी है । दोनों के यहां से तेज आवाज में सुबह से ही लाउडस्पीकर बज रहा है और अभी-अभी बैंडवाले भी वर्माजी के यहां आ गये हैं जो तेज आवाज में शोर कर, वार्मअप हो रहे हैं तथा बारातियों को इक्टठे करने की कोशिश कर रहे हैं । खैर मित्र ने मौके की नजाकत समझते हुए फोन जल्दी ही रख दिया ।

वर्माजी ने अपने रिश्तेदारों की संख्या अधिक होने से उन्हें चुपके से शर्माजी के यहां भेज दिया है जो दावत उडाने में मगन हैं और बैंडवाले उन्हें बुलाने के लिये जोर-जोर से बैंड बजा रहे हैं क्योंकि उन्हें यहां बजाकर दूसरी जगह भी जाना है । शोर इतना भयानक हो चुका है कि कमजोर दिल वाले का तो कलेजा ही मुँह को आ जाये, लेकिन शर्माजी और वर्माजी के बीच संगीतयुद्ध होने से मैं बुरी तरह से पिस रहा हूँ जिसका इन दोनों को कोई ख्याल नही है इन्होंने तो बस सुबह से ही नाक में दम का रखा है । अब चूंकि पडौसियों का मामला है और मुझे भी दोनों के यहां पार्टी में जाना है, इसलिये मैं चाहकर भी कुछ नही कर सकता । एक तरफ तेज शोर से भेजा फट रहा है उपर से मेरे चैन के दुश्मनों को लिफाफा और आशिर्वाद भी दो । एक बार तो दिल में आया कि क्यों नहीं सालों को ग्यारह-ग्यारह रुपल्ली टिकाकर ठेंगा दिखा दूं पर कुछ सोचकर रूक गया ।

बडे बेमन से सपरिवार पार्टी में गया परन्तु पूरे समय हाल में रखे स्पीकर को ही घूरता रहा कि काश, किसी तरह से यह खराब हो जाये पर हुआ कुछ नही । मेरी आंखें चिंगारी उगल रही थी परन्तु वोल्यूम कंट्रोल करना मेरे बस में नही था और म्यूजिक वाला लडका न जाने कहां मर गया था, खा रहा होगा चटकारे लेकर गुलाब-जामुन, दहीबडे किसी कोने में खडा-खडा ।


मेरी पत्नी और बच्चे पार्टी के पूरे-पूरे मजे ले रहे थे, उन्हें और दूसरों को तेज शोर से कोई फर्क ही नही पड रहा था, सभी मानों बहरे हो गये हों, सब अपनों में ही मगन थे। हाल में कुछ पढे़-लिखे लोग और टपोरी किस्म के छोरे भी बेहुदा संगीत पर कमर मटका रहे थे । मुझे गुस्सा ऐसा आ रहा था कि सभी नाचने वालों का गला दबा दूँ । खैर, मैने किसी तरह खाने से निपटकर, बनावटी मुस्कुराहट के साथ, मन ही मन सभी को कोसते हुए, लिफाफा दूल्हे को थमाया और चुपचाप घर वापस आ गया ।

‘’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’

रात डेढ़ बजे

मेरी पत्नी, बच्चे निश्चिंत खर्राटे भर रहे थे, और बस हम तीनों ही जाग रहे थे - मैं, दलेर और गुरदास मान !

अब भी तेज संगीत बज रहा था । आखिर मुझसे रूका नही गया, मैने फोन उठाया और डायल किया 100 पुलिस कंट्रोल रूम, दूसरी ओर से आवाज आई ‘‘हो गई तेरी बल्ले बल्ले..............‘‘ इस गाने को अपनी caller tune बनाने के लिये..........

‘’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’’
निवेदन

क्या आप भी मुझसे सहमत हैं कि शादी, ब्याह और अन्य समारोहों में तेज बजने वाले संगीत पर रोक होना चाहिये और इसकी पहल घर के मुखिया को ही करनी होगी ?

2 comments:

  1. well, there is already some law against of this. I think there will be a maximum time i.e, upto 10 pm for all this. But it all depends upon the people. Its our duty to understand what problems we are making by doing this.
    Sir, kindly wrote about the conditions of today's Media.

    ReplyDelete
  2. :-D. Interesting story with more interesting end. :)
    Yes, there must be some rule and regulations for that.

    ReplyDelete